पाबंदी
पाबंदी
भक्ति न सही मेहनत करके रोटी रोज़ी का जुगाड़ किया
काश तुम लालच मे न पड़कर सब को जिने का हक़ देते
न मेहनत कि सोची और आरती पुजी पतियों की उतारी
करोना आया, बेघर-बेसहारे हमे, मरने को छोड़ दिया?
पैसा नही,खाने का क्या भरोसा, छीना काम तालेबन्दी ने
आख़िर कब तक सह पाएँगे बेदर्द ज़माने के यह सितम !
