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JAI GARG

Abstract

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JAI GARG

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कैसी बचत

कैसी बचत

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जब लाभ दिखा कर बची जमा

पूंजी सरकार ही ले उड़े


और काले धन वाले हँसते

हुए ठेंगा सब को दिखा जाए


जो रिश्वत को मजबूर करते

वही मालिक घूस लेने लगे


क्या होगा उस देश का

नक़्शा क्यो कोई रोज़गार करे ?


सोने पर सुहागा “जी एस टी”

काम करो, चोर कहलाओ


प्रकृति का नियम है न कोई

बच पाया न ही बच पाएगा !


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