तमन्ना
तमन्ना
रंगों में आकृतियों को उभार कर
सामने लाने की कला
कुछ तो होगा जब तमन्नाए
उड़ान भरने को आतुर हो,
एक जनून सर चढ़ कर बोले
मन हे सुनने को तैयार नही
दिल पर क़दमों कि छाप छोड़ने
का अन्दाज़ तुम्हारा है।
चली जाना,
बेताब हुए जाते हैं
चंद्रमा के
मदभरे साये,
ओस की बूँदों,
सवेरे की आहट,
बाँहों में
समेट लेंगे तुम्हें !