आतंकवाद
आतंकवाद
सच होती हे कथनी जब क़िस्मत ही साथ नही देती
सुना था क़ानून आँधा हे आख़िर बुराइ क्यो देखे ?
गुहार नेता को बुरी लगे तो कान पर ज़ू केसे रेंगेगी ?
और जनता की बेतुकी है होट सीकर चुप रहना।
कैसा विचित्र, महात्माओं के तीन बन्दरों वाला उपदेश ?
नहीं मानोगे तो जन्नत में, छप्पन हूरें जरूर दिला देगा !