भविष्य
भविष्य
काश के ज़िन्दगी का कटु सत्य मनुष्य समझ पाता
जिसे प्यार करते हे वह ही बिलखता छोड़ जाता है।
कैसे निष्ठुर हो भगवान, जब छप्पड फाड़ कर देते हो
वापस बुलाना था तो हमे बिछड़ने को मजबूर न करते।
अब यादें हे गुज़रे ज़माने की सोच कर रह जाते हे हम
कश यह होता, वो भी होता, उधेड़ बुन में रह गए हम !