दुआ में खुदा से क्या माँगू
दुआ में खुदा से क्या माँगू
अगर हर रज़ा हो पूरी मेरी,
जो भी मैं दुआ मे मांगू,
तो जद्दोजहद इस बात की खुद से,
की दुआ मे खुदा से क्या मांगू |
एक ग़रीब के घर मे भी प्यार देखा,
और अमीरो की ज़रूरतो का अंबार देखा |
एक निवाले को सब मे बँटता हुआ देखा,
तो कुछ टुकड़ो के लिये गला कटता हुआ देखा |
तो उन कटे हुए गलो की जान मांगू,
या जो अंदर मर चुका है, वो इंसान मांगू |
जद्दोजहद इसी बात की है खुद से,
की दुआ मे खुदा से क्या मांगू ||
किसी पराए की मौत को नज़रअंदाज करते देखा,
लेकिन पराए धन के लिए तेरा वो अंदाज भी देखा |
थक कर किसी को पत्थर पर भी सुकून से सोते देखा,
तो नरम बिस्तर पर भी रात भर करवट बदलते देखा |
तो उस पत्थर पे सोये इंसान के लिए कोई महल मांगू,
या महल मे सोये इंसान के लिए थोड़ा सुकून मांगू |
जद्दोजहद इसी बात की है खुद से,
की दुआ मे खुदा से क्या मांगू ||
मैने तुम सब का भाईचारा भी देखा,
लेकिन अयोध्या मे राम ओर अल्लाह का बँटवारा भी देखा |
जाने अनजाने मे तुम्हारी वो नादानी भी देखी,
हिन्दी को हिंदू और उर्दू को मुसलमान होते देखा |
तो उर्दू बोलने के लिये किसी मुसलमान के घर नया जन्म मांगू,
या इन उर्दू के लफ़्ज़ों की जगह हिन्दी के शब्द मांगू |
ये छोड़िए जनाब, अब जद्दोजहद इस बात की है खुद से,
की मैं खुदा से मांगू या भगवान से मांगू ||