STORYMIRROR

Rishabh Tomar

Abstract

5  

Rishabh Tomar

Abstract

दीप

दीप

1 min
375

एक दीप उनका तुम रखना अबकी पूजा थाली में

सरहद पे जो देश की खातिर, डटे हुये दीवाली में।


छोड़ दिया बेटे ने, बहू ने बूढ़े होने पर जिनको

एक दीप उनका भी रखना जीते है बदहाली में।


खूब मानना हर्ष मगर उनका भी ध्यान लगा लेना

भूखा प्यासे बिलख रहे जो सड़कों पर कंकाली में।


हँसते हँसते प्राण गवाये जिनने हम सब की खातिर

एक दीप उनका भी रखना मिटे है जो रखवाली में।


एक दीप उनका भी होगा थाली में निश्चित प्यारे

हम आजादी से मना पा रहे दिवाली, दिवाली में।


उनको भी तुम साथ मे रखना तुमसे प्यारे कहता हूँ

दुःख में साथ दिया है जिनने और दिया खुशहाली में।


ऋषभ दीप करता है समर्पित उनको इस दिवाली में

कभी नहीं आ पायेंगे जो, कभी किसी दिवाली में।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract