जनवरी औऱ तुम
जनवरी औऱ तुम
तेरे मेरे इश्क में हर प्यार वाली बात
मानो जनवरी की कोई सर्दीली रात
जैसे छाया होता है कोहरा घना घना
तुम छाई हो मेरे मन के हर जज्बात
तेरे संग वक्त कुछ यूँ गुजरता है मेरा
गर्माहट मिलने पे गुजरती ज्यो रात
तुझे देखना मुकमल होना दुआ काया
कोहरा छट मिले धूप की सौगात
तुझसे मिलना दिल को सुकूँ देता है यूँ
ज्यो सर्दी में हो जाये आग से मुलाकात
तुमसे दूरी है सर्दी से होती जलन जैसी
खून जमा दे ऐसी इक बर्फ की बरसात
तेरे होने से ही सब नया नया उमंग भरा
तुम जनवरी सी तुमसे मेरी शुरूआत
सरसों सी पीली मटर सी गुलाबी सफ़ेद
चने सी नीली ओस सी रंगों की सौगात
करिश्मा है शिव का मिला मुझे तेरा साथ
यार चाँद छूने की चकोरे की क्या औकात
शिव गौरी से हम, इसके है शिव साक्षी
ऋषभ हर बार वो ही जीते तेरी हो मात।