भले विषैला होले जितना, मनुज मनुज है सर्प नहीं है। भले विषैला होले जितना, मनुज मनुज है सर्प नहीं है।
ऐसा लगता है जैसे अभी-अभी हुई है सुबह जिन्दगी में। ऐसा लगता है जैसे अभी-अभी हुई है सुबह जिन्दगी में।
सिर्फ एक दूसरे के इश्क़ में चूर, हम बस खो जाएं। सिर्फ एक दूसरे के इश्क़ में चूर, हम बस खो जाएं।
अच्छा हो थोड़ा, रुक जाएँ अगर हम, अपने वातावरण पर तरस खाए हम। अच्छा हो थोड़ा, रुक जाएँ अगर हम, अपने वातावरण पर तरस खाए हम।
क्योंकि वक़्त ही ऐसा वक़्त है जो सबका आता है। क्योंकि वक़्त ही ऐसा वक़्त है जो सबका आता है।
उनकी बेरुखी का आलम भी क्या बताये माह-ए-जून में वो बर्फ से पिघल गये उनकी बेरुखी का आलम भी क्या बताये माह-ए-जून में वो बर्फ से पिघल गये