जब होता है प्रेम
जब होता है प्रेम




आसमान तारों से
टिमटिमाता हुआ
साफ नजर आता है।
मन करता है
माघ की चांदनी रातों में
भीगने का।
जेठ की गर्मी में
तपने का
आंखों में चढ़ा काला
पर्दा हट जाता है
दुश्मन भी दोस्त
नजर आता है।
कांटों की दरिया
लगने लगती है
फूलों की सेज।
दुनिया दीखती है
दूध की धुली।
खूबसूरत बर्फ की
चदरिया में
रंग-बिरंगे महकते फूल,
जिसके एक कोने से
सूर्य उदित होता दीखता है
ऐसा लगता है जैसे
अभी-अभी हुई है सुबह
जिन्दगी में।