डर
डर




जीवन भर
तुम्हें देखता रहूँ
इसलिए फूल बनकर
तुम्हारी बगिया में
महका करता हूँ
डरता हूँ
कहीं तुम्हारे प्रेम से
वंचित न हो जाऊँ
इसलिए
हवा बनकर
तुम्हारी सांसों में
दहका करता हूँ।
जीवन भर
तुम्हें देखता रहूँ
इसलिए फूल बनकर
तुम्हारी बगिया में
महका करता हूँ
डरता हूँ
कहीं तुम्हारे प्रेम से
वंचित न हो जाऊँ
इसलिए
हवा बनकर
तुम्हारी सांसों में
दहका करता हूँ।