अच्छा हो थोड़ा, रुक जाएँ अगर हम, अपने वातावरण पर तरस खाए हम। अच्छा हो थोड़ा, रुक जाएँ अगर हम, अपने वातावरण पर तरस खाए हम।
इसे जिंदगी का सबब बनाते गए I इसे जिंदगी का सबब बनाते गए I
आत्मशक्ति के प्रकाशपुंज से गंतव्य तक जाना। आत्मशक्ति के प्रकाशपुंज से गंतव्य तक जाना।
धीरे-धीरे विदा लेती हूं सागर में डूबती हूं। धीरे-धीरे विदा लेती हूं सागर में डूबती हूं।
रुकी वो कलम, जो कि रुकती नहीं है जो हर दिन उजड़ते चमन देखता हूं। रुकी वो कलम, जो कि रुकती नहीं है जो हर दिन उजड़ते चमन देखता हूं।
बैसाखी की खोज न कर गिरकर उठना भी है सफलता बैसाखी की खोज न कर गिरकर उठना भी है सफलता