बैसाखियों के सहारे चलें भी जाएं मंजिल तक लेकिन बैसाखियां कहाँ वरण कर पाती है अपने पैरों पर खड़... बैसाखियों के सहारे चलें भी जाएं मंजिल तक लेकिन बैसाखियां कहाँ वरण कर पाती है...
भाव बन्धुता समता करुणा खो सी गई है कहीं कुंठित मानसिकता बढ़ी निरंतर आज़ादी न रही। भाव बन्धुता समता करुणा खो सी गई है कहीं कुंठित मानसिकता बढ़ी निरंतर आज़ादी न रही।
आज मालूम पड़ रहा है दर्द किसी अपने को खोने का। आज मालूम पड़ रहा है दर्द किसी अपने को खोने का।
बैसाखी की खोज न कर गिरकर उठना भी है सफलता बैसाखी की खोज न कर गिरकर उठना भी है सफलता
आजादी के लिए न जाने, कितनों ने जान गवाई थी। आजादी के लिए न जाने, कितनों ने जान गवाई थी।
दो और दो का गणित जोड़कर उगा लिए हैं चार पांव अब दो और दो का गणित जोड़कर उगा लिए हैं चार पांव अब