काठ की तो मैँ नहीं भावनाएं है कुछ सपने कुछ आकांक्षाए है। काठ की तो मैँ नहीं भावनाएं है कुछ सपने कुछ आकांक्षाए है।
तूने तो है पहनी, आम आदमी की पोशाक नेता की कुर्सी के पास, है पैसों की साख़। तूने तो है पहनी, आम आदमी की पोशाक नेता की कुर्सी के पास, है पैसों की सा...
रद्दी चीज़ें, फटे पुराने, कपड़े भी, मिलकर आए मेरे काम में। रद्दी चीज़ें, फटे पुराने, कपड़े भी, मिलकर आए मेरे काम में।
सुलगती रहती है दिल में बिलकुल गीली लकड़ी की तरह। सुलगती रहती है दिल में बिलकुल गीली लकड़ी की तरह।
प्रेम और सदभाव बढ़ा, नफरत की होली जलनी है। प्रेम और सदभाव बढ़ा, नफरत की होली जलनी है।
हर दुख सह जाते खुदा तुम्हें बनाते हैं। हर दुख सह जाते खुदा तुम्हें बनाते हैं।