काठ की तो मैँ नहीं भावनाएं है कुछ सपने कुछ आकांक्षाए है। काठ की तो मैँ नहीं भावनाएं है कुछ सपने कुछ आकांक्षाए है।
ये सभी बुराई विचारों की छाया समाप्त हो जाए। ये सभी बुराई विचारों की छाया समाप्त हो जाए।
ज़िन्दगी जीना तो फुर्सत में सरलता से आये फिर क्यूँ भागते हुए ज़िन्दगी गँवाये। ज़िन्दगी जीना तो फुर्सत में सरलता से आये फिर क्यूँ भागते हुए ज़िन्दगी गँवाये।
शब्द भाषा और सहज ताल लय में लिखना चाहिए ! शब्द भाषा और सहज ताल लय में लिखना चाहिए !
माँ आरम्भ है माँ सृजन माँ को प्रतिपल नमन है। माँ आरम्भ है माँ सृजन माँ को प्रतिपल नमन है।
साथ मनाते थे सब, तीज और त्योहार।। साथ मनाते थे सब, तीज और त्योहार।।