जब मन भावुक होता है या बागी तो लिखती हूँ, जब खुश होती हूँ तो लिख देती हूं, शब्द मेरी सांस है।
मन आज और बीते कल के बीच भँवर में डगमगा रहा था मन आज और बीते कल के बीच भँवर में डगमगा रहा था
इसके पहले वाले अध्याय में आपने पढ़ा काव्या से प्रसंग का इज़हार। इसके पहले वाले अध्याय में आपने पढ़ा काव्या से प्रसंग का इज़हार।
ये समझो पहली नज़र वाला प्यार ही था। काव्या जिस कोचिंग में पढ़ने गयी उसके ठीक सामने की चेयर पर वह बैठा ... ये समझो पहली नज़र वाला प्यार ही था। काव्या जिस कोचिंग में पढ़ने गयी उसके ठीक सामने...
दिखने का साधारण, परिवार से साधारण पर काव्या के मन ने पता नही क्यों उसे बहुत असाधारण मान लिया था। दिखने का साधारण, परिवार से साधारण पर काव्या के मन ने पता नही क्यों उसे बहुत असाध...