गर ये सितम प्रदूषण का मिट जाए, तो मैं भी नभ का सौदागर बन जाऊं। गर ये सितम प्रदूषण का मिट जाए, तो मैं भी नभ का सौदागर बन जाऊं।
शब्दों के जालों में यूँ ही भटकना हमें आता ही नहीं लोगों को भी। शब्दों के जालों में यूँ ही भटकना हमें आता ही नहीं लोगों को भी।
गुण -कर्म- स्वाभाव को परखे, चिंतन करे और श्रेष्ठ व्यक्तित्व अपनाए ! गुण -कर्म- स्वाभाव को परखे, चिंतन करे और श्रेष्ठ व्यक्तित्व अपनाए !
मुझ जैसे दुश्मन मिले सबको यही दुआ करता हूँ, दोस्त तुम जैसा ईश्वर किसी को दे नहीं सकता। मुझ जैसे दुश्मन मिले सबको यही दुआ करता हूँ, दोस्त तुम जैसा ईश्वर किसी को दे न...
असम्भव सी हो गयी है या सहज होना मनुष्य की जरूरत नहीं रही। असम्भव सी हो गयी है या सहज होना मनुष्य की जरूरत नहीं रही।
साथ मनाते थे सब, तीज और त्योहार।। साथ मनाते थे सब, तीज और त्योहार।।