मैं नभ का सौदागर बन जाऊं
मैं नभ का सौदागर बन जाऊं
मैं नभ का सौदागर बन जाऊं,
गर यें हवाएं अपना मशवरा छोड़ दे,
गर नीर अपनी सहजता वार दे,
तब मैं हर ओर हरियाली सा फैल जाऊं।
नभ में सिमटी कपास को मैं
अपना आशियाना बनाऊं,
गर यें मौसम मुझे अपनाए,
तब मैं नभ का सौदागर बन जाऊं।
हैं फैली हताश आशाओं में,
फिर एक नई उम्मंग जगाऊं,
गर ये सितम प्रदूषण का मिट जाए,
तो मैं भी नभ का सौदागर बन जाऊं।