ग़ज़ल
ग़ज़ल
आंसू बहा-बहा के अपने दिलबर की याद में हम रोए।
सूने पन की हर घड़ी में तुम्हारी हर बात पर हम रोए।।
वफा की बात पर रोए जफा की बात पर भी रोए।
मत पूछो यारों रात भर किस बात पर हम रोए।।
बिताए जो लम्हे मिलकर उन हसीन पल पर हम रोए।
फिर कभी वो पल मिलेंगे यह सोच कर हम रोए।।
जगाई जो रोशनी तुमने उस कीमती सौगात पर हम रोए।
संभल कर कहीं गिर न पड़े इस बात पर हम रोए।।
सिवाय एक धोखा है जिंदगी और कुछ नहीं है "नीरज"।
लिखे जो गीत दिल से उन नगमात पर हम रोए।।
