एक पल
एक पल
एक पल है अभी
आज के समय मे,
प्रेम के आकाश में
नफरत के बादल हैं
और जमीन पर
नफरत की परछाइयां।
फलतः रौशनी में
धुंध है
और प्रेम में सशंय।
वो दिन दूर नहीं है
जब देखते ही
हम टूटकर मिलेंगे
जैसे मिला करते थे।
देखिये न इंसानियत की
इस झुरकती हुयी हवा से
आसमान से बादल भाग रहे हैं
और जमीन पर
नफरत की परछाइयां
सिमट रही हैं अपने आप में।
