सफर
सफर
सिफर से सिफर तक
एक सफर है सभी का।
कितने जमा खर्च,
जाने कहा से
जाने कहाँ को
कभी थोड़ा ज्यादा
कभी पड़ता थोड़ा
ये झूम झूम आता रेला
दुख और खुशी का,
सिफर से सिफर तक
एक सफर है सभी का....
कहानी जैसे कोई
सदियो पुरानी
मगर हर वक्त ताजी
जिसकी बयानी
हर किरदार झूठा
हर किरदार सच्चा
मगर फलसफा एक वही
हर किसी का
यहाँ जो मागो वो भी हो फानी
यहां जो देदो वो भी हो फानी
ये किस्सा अनोखा
ये फितना अनोखा
सिफर से सिफर तक
एक सफर है सभी का....
गुलाम है कि आज़ाद हैं हम,
क़े समय के धारे पर
खुश्क अबशार है हम,
क्या जाने किसका सरोकार है ये
किन ख्वाहिशों का तलबगार है ये
ये थम के चले तो हाय तौबा!!
ये भागे कहीं तो भी हाय तौबा !!
मुस्काये जरूरत
कुम्हला जाए कुदरत,
फैले जो शफ़क़त
लगे खतरे में अजमत
ये मसला वक्फों का
उलझता बिखरता
सिफर से सिफर तक
एक सफर है सभी का....
