तीर्थ
तीर्थ
हमारी भारतीय सभ्यता के
महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल
बनाये नहीं जाते
बन जाते हैं
और जीवन की जरूरतों के
सम्पूरक होते हैं।
हम जब जब
जीवन में अदृश्य की
प्रेम लीला से अभिभूत हुये हैं
एक तीर्थ स्थल बन गया है
आजकल कुछ
दिलचस्प हो रहा है
एक नया तीर्थ स्थल बन रहा है
ये परंपरागत तीर्थ स्थलों के
मध्य मनुष्य के घर जैसा है
यानी हमारा घर
एक आधुनिक तीर्थ स्थल
बन रहा है
जिसमें किसी अदृश्य के साथ
हम रह हैं
और इसकी जरूरत थी
जरूरत थी कि मनुष्य
बचे, ताकी
उसकी सभ्यता बची रहे।
