मुझे चाहिए वो..🙏
मुझे चाहिए वो..🙏
कहां तो
रत्ती भर भी
घबराना नहीं था
सबको
ढांढस बंधाते हुए
आंखों थामे आंसुओं को
अंदर ही अंदर
रूंधे गले तक पहुंचाना था
यह कह पाने के लिए
कि सब ठीक हो जाना है।
मगर उसे
वेंटीलेटर पर देखना
मानो अपनी
नीव के हिल जाने का
खौफनाक
मंजर देख रही होऊं
चाह कर भी
मन की भयंकर
उथल पुथल को
पूरे शरीर से
गुपचुप गुजरता महसूस
करते हुए
वापस चेहरे पर
उजागर होने से
रोक नहीं पाई।
वो मजबूत पेड़
नहीं बन पाई जिसकी
शाखों में भूकंप
के बाद भी
पंछियों को
अपने घोंसलों का
आसरा बना रहता है।
गिनते जा रही हूं
उसके कष्ट में
बीतते हुए दिन
और देते जा रही हूं
दुआओं में कुछ
सुंदर दिनों के बदले
अपने जीवन के साल
उस अदृश्य
परमात्मा को
किसी नादान की तरह
मानो सुन ही लेगा
मान ही लेगा
मेरी गुहार।
"मुझे
चाहिए वो
अपने होने
के लिए।