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nutan sharma

Abstract

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nutan sharma

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एक हाउसवाइफ

एक हाउसवाइफ

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कहते है क्या करती हो, घर मैं ही तो रहती हो। 

शाम सवेरे तुम तो बस खुद में ही खोई रहती हो। 

रात को सोते हुए भी, जब सुबह की टेंशन होती है।

सारी रात घड़ी की टिक टिक कान में चुभती रहती है। 

नीद नहीं हुई क्या पूरी तुम तो सोती रहती हो। 

शाम सवेरे तुम तो बस खुद में ही खोई रहती हो। 


अभी नाश्ता बना नहीं क्या, सब टेबल पर पहुंच गए। 

लंच बॉक्स पैक किया क्या हम ऑफिस को लेट हुए। 

धीरे धीरे करती हो सब ना जाने क्या करती हो। 

शाम सवेरे थोड़ी तुम तो बस खुद में ही रहती हो। 


फुरसत मिली नहीं, अब भी सबके जाने के बाद। 

अभी मिला आराम नहीं, इतने सब कमों के बाद। 

समय हुआ अब चार बज गए, किस दुनिया में रहती हो। 

शाम सवेरे तो बस तुम खुद में ही खोई रहती हो।

 

घर पर आए गेस्ट अभी, अब उनकी सेवा करनी है। 

रात को डिनर में क्या है खाना उसकी भी तैयारी करनी है। 

होमवर्क बच्चों को है करना, वो तो तुम्हारा काम है। 

शाम सवेरे तुम तो बस खुद में ही खोई रहती हो। 


अब तो थोड़ा सो लेती हूं, रात भी आधी बीत गई। 

सारे दिन की भागदौड़ में, मैं खुद को ही भूल गई। 

सुबह को फिर से उठना भी है, मेरी कोई छुट्टी कहां रहती है। 

शाम सवेरे तुम तो बस खुद में ही खोई रहती हो।


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