मां शारदे
मां शारदे
वर दे शारदे मेरे कंठ विराजो मां।।
तेरी महिमा अपरंपारा।।
तुझ बिन सारा जग अंधियारा।।
ज्ञान की देवी तुमको पूजे सारा जग संसार।
वर दे शारदे मेरे कंठ विराजो मां।।
तेरे उपकारों से ही मां मेरे शब्दों में ताकत है।।
तेरी दया हो जाए जिस पर, मिल जाती सारी दौलत है।
तेरी कृपा से मुझको मिलता ज्ञान का भंडार।।
वर दे शारदे मेरे कंठ विराजो मां।।
मेरी इच्छा मेरे सपने, तेरी इच्छा पर निर्भर हैं।
वीणा वादिनी आन विराजो, तेरे दर्शन को व्याकुल हैं।
अब तुम सब कुछ सफल बनादो, दे दो अपना प्यार।।
वर दे शारदे मेरे कंठ विराजो मां।।
मुझको गुणों की खान बनादो, वरद हस्त पर रख दो मां।।
तुम तो देवी विधा की हो, वागेश्वरी, भारती, हो मां।।
मेरे शब्दों को मिलता है, तुमसे ही आकार।।
वर दे शारदे मेरे कंठ विराजो मां।
