सवैया छंद
सवैया छंद
पायंन छाले परे बन में,
मां जानकी संग चले दोऊ भाई।
चित्रकूट में बनाईकै कुटिया,
बन में रहें न माने कठिनाई।
देखी दशा जब आय भरत ने,
रोए लिपटी के राम से भाई।
दोष क्षमा प्रभु मेरो करो,
जामे मेरी नेकऊ नहीं कुटलाई।
पायंन छाले परे बन में,
मां जानकी संग चले दोऊ भाई।
चित्रकूट में बनाईकै कुटिया,
बन में रहें न माने कठिनाई।
देखी दशा जब आय भरत ने,
रोए लिपटी के राम से भाई।
दोष क्षमा प्रभु मेरो करो,
जामे मेरी नेकऊ नहीं कुटलाई।