nutan sharma
Inspirational
पायंन छाले परे बन में,
मां जानकी संग चले दोऊ भाई।
चित्रकूट में बनाईकै कुटिया,
बन में रहें न माने कठिनाई।
देखी दशा जब आय भरत ने,
रोए लिपटी के राम से भाई।
दोष क्षमा प्रभु मेरो करो,
जामे मेरी नेकऊ नहीं कुटलाई।
अगर तुम राम ह...
सवैया छंद
मुझसे तू झूठी...
शिक्षक दिवस
मां शारदे
रक्षा का सूत्...
सिपाही के नाम...
घड़ी दो घड़ी ...
है मेरा वंदन
हाँ...हिंदी हूँ मैं अक्षर-अक्षर जोड़कर नव शब्द बनाती हूँ. हाँ...हिंदी हूँ मैं अक्षर-अक्षर जोड़कर नव शब्द बनाती हूँ.
भूले लाख तू उसको , लाज वो सबकी राखे है। भूले लाख तू उसको , लाज वो सबकी राखे है।
गौरवान्वित है नारी यहाँ की, मान है उन माताओं पर गौरवान्वित है नारी यहाँ की, मान है उन माताओं पर
बरसेगा मेहर का मेह दिलों के सरजमीनों पर, बस बरसाने की जिद होनी चाहिए। बरसेगा मेहर का मेह दिलों के सरजमीनों पर, बस बरसाने की जिद होनी चाहिए।
हिन्दी से तन-मन खिल जाए। हिन्दी से सब गम मिट जाए।। हिन्दी से तन-मन खिल जाए। हिन्दी से सब गम मिट जाए।।
तुझे ढुढ़ने जो निकली, मेरी कविता, सिरहाने रखती थी , तुम वहाँ तो न निकली। तुझे ढुढ़ने जो निकली, मेरी कविता, सिरहाने रखती थी , तुम वहाँ तो न निकली।
श्याम तुम्हारा नाम लिखा है मेरे अंतस के कागज पर। श्याम तुम्हारा नाम लिखा है मेरे अंतस के कागज पर।
वर्ण वर्ण से जुड़कर ऐसा काव्य प्रसार किया। वर्ण वर्ण से जुड़कर ऐसा काव्य प्रसार किया।
खुशियाँ बिखेरती सदा ही, बेटियाँ सदा होती खास हैं। खुशियाँ बिखेरती सदा ही, बेटियाँ सदा होती खास हैं।
सर्वत्र प्रेम सर्वजन सुखाय यह है जीवन का प्रमाण पत्र। सर्वत्र प्रेम सर्वजन सुखाय यह है जीवन का प्रमाण पत्र।
क्या सुनाऊँ दास्तान मैं उन महान वीरों का। क्या सुनाऊँ दास्तान मैं उन महान वीरों का।
इस ढ़लती हुई शाम के साथ सबकुछ जैसे ढ़ल सा जाता है। इस ढ़लती हुई शाम के साथ सबकुछ जैसे ढ़ल सा जाता है।
ना धन की इच्छा ना चाहत पद की ना चाहिए मान बड़ाई ना वाह वाही ना धन की इच्छा ना चाहत पद की ना चाहिए मान बड़ाई ना वाह वाही
शिक्षक बिना ज्ञान नहीं पाते ज्ञान बिना हम पशु कहलाते। शिक्षक बिना ज्ञान नहीं पाते ज्ञान बिना हम पशु कहलाते।
उसे अपने किस्मत के खेल पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल प्रतीत हो रहा था उसे अपने किस्मत के खेल पर यकीन करना थोड़ा मुश्किल प्रतीत हो रहा था
गर गुरु न होते इस जीवन में , हमको राह दिखाता कौन। गर गुरु न होते इस जीवन में , हमको राह दिखाता कौन।
आश्विन मास शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि आई, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करें घर घर वभाई। आश्विन मास शुक्ल पक्ष द्वितीया तिथि आई, माता ब्रह्मचारिणी की पूजा करें घर घर ...
हिंदी हमारी जननी है , हिंदी का रूप अपार है. हिंदी हमारी जननी है , हिंदी का रूप अपार है.
स्नेह,प्रेम,ममता,परवाह और फिक्र जताने के लिए जरूरी होती हैं बेटियाँ। स्नेह,प्रेम,ममता,परवाह और फिक्र जताने के लिए जरूरी होती हैं बेटियाँ।
मैं मात्र एक भीगन नही बरखा की फुहार नही संयोग वियोग का प्रतीक हूँ। मैं मात्र एक भीगन नही बरखा की फुहार नही संयोग वियोग का प्रतीक हूँ।