घड़ी दो घड़ी (गीत)
घड़ी दो घड़ी (गीत)
कभी जब भी बादल बरसने लगे तब।।
मुझे याद करना घड़ी दो घड़ी।
कभी याद करना कभी मुस्कुराना।
कभी साथ मेरे यूंही चलते जाना।
टूटेगी ना यादों की कड़ी।
कभी जब भी देखोगे मुड़के जो पीछे।
पाओगे मुझको वहीं पर खड़ी।
कभी जब भी बादल बरसने लगे तब।।
मुझे याद करना घड़ी दो घड़ी।
कभी रेत पर नाम लिखना मिटाना,
महसूस करना वहीं पर खड़ी।
कभी लौ जलाना कभी लौ बुझाना।
कभी याद बनकर के ख्वाबों में आना।<
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कभी प्यार की बनना हथकड़ी।
कभी जब भी बादल बरसने लगे तब।।
मुझे याद करना घड़ी दो घड़ी।
कभी तुमसे मैं जो अगर रूठ जाऊं।
कभी मैं अगर तुमसे जो दूर जाऊं।
मुझको मानना, न तुम दूर जाना।
समझाना मुझको, कुछ तुम समझ जाना।
फिर दूरियां ना रहेंगी खड़ी।
कभी जब भी बादल बरसने लगे तब।।
मुझे याद करना घड़ी दो घड़ी।
कभी मन में उदासी जो घर करने आए।
सोचो, मन में तुम्हारे हैं यादों के साए।
मैं गर न हूं तो मुझे अपनी यादों में रखना।
खुद को हमेशा पर तुम शाद रखना।
लगने ना देना आंसू की झड़ी।
कभी जब भी बादल बरसने लगे तब।।
मुझे याद करना घड़ी दो घड़ी।