है मेरा वंदन
है मेरा वंदन
है मेरा वंदन, है अभिनंदन।
कि जो दिन रात सीमा पर खड़े हैं।
देख उनको गर्व उन पर, देश को होता रहेगा।।
है मेरा वंदन।।।।
पाली हैं जिसने दिलों में देश की फिकरें हमेशा।
देश की रज को सदा ही साथ लेकर चलते हमेशा।।
मान उसका, सम्मान करते कि जिसकी रक्षा में खड़े हैं।।
है मेरा वंदन, है अभिनंदन।
कि जो दिन रात सीमा पर खड़े हैं।
है मेरा वंदन।।।।
जो तड़पता छोड़ आए, एक मां को दूजी मां के लिए।।
जो बरगद सम पिता की छांव भूल बैठे हैं, वतन की रज के लिए।
हां, उनके हर तीज और त्योहार सीमा पर ही मने हैं।।
है मेरा वंदन, है अभिनंदन।
कि जो दिन रात सीमा पर खड़े हैं।
है मेरा वंदन।।।।
जो खड़े हैं, जो अड़े हैं तैयार दुश्मन से लड़े हैं, इस राष्ट्र की आन में।
शान उनसे ही है हमारी, जो खड़े हैं सीमा पर मां भारती के सम्मान में।।
जो ले तिरंगा लहरा दिया दिया है, परचम राष्ट्र का ऊंचा किया है।।
है मेरा वंदन, है अभिनंदन।
कि जो दिन रात सीमा पर खड़े हैं।
है मेरा वंदन।।।।
वार सारे झेलकर वो मुस्कुराते ही रहे है
ं।।
आबरू मां भारती की वो बचाते ही रहे हैं।।
कर दिया है खुद को समर्पित मां भारती के चरण में।।
है मेरा वंदन, है अभिनंदन।
कि जो दिन रात सीमा पर खड़े हैं।
है मेरा वंदन।।।
देखती जब अम्मा होगी, हर बार रास्ता तकती होगी।।
और बाबा भी अकेले होकर तसल्ली खुद को देते होंगे।।
और बहना पूछती खत में इस बार राखी पे क्या भैया आ रहे हैं।।
है मेरा वंदन, है अभिनंदन।
कि जो दिन रात सीमा पर खड़े हैं।
है मेरा वंदन।।।
सांस ली जब आखिरी, तब ये ह्रदय में गम रहा है।
और थोड़ा, सिर्फ थोड़ा, सा समय मिल जाता यदि तो।।
थोड़ी रक्षा और कर लेता मैं सीमा पर अगर तो।।
है मेरा वंदन, है अभिनंदन।
कि जो दिन रात सीमा पर खड़े हैं।
है मेरा वंदन।।।।
देश के हालात भी थोड़े अभी बिगड़े हुए हैं।
मैने भी दोनों मांओं से जाने कितने वादे किए हैं।।
दुःख यही बस एक है, उनको मैं निभा न पाया।
और खुशी इस बात की, लिपट तिरंगे में, मैं लौट आया।।
है मेरा वंदन, है अभिनंदन।
कि जो दिन रात सीमा पर खड़े हैं।
है मेरा वंदन।।।