रक्षा का सूत्र (रक्षाबंधन)
रक्षा का सूत्र (रक्षाबंधन)
नहीं चाहिए उपहार कोई।।
बस प्रेम से आदर कर लेना।
कभी कभी मैं आती हूं।।
बस देख मुझे मुस्कुरा देना।।
ये राखी का धागा मेरा।।
बस प्रेम सूत्र का बंधन है।।
इस डोर को तुम यूं ही।।
ना डाल भूल में तुम देना।।।
तुम्हारी रक्षा को मैं तत्पर।।
तैयार सदा ही रहती हूं।
मुझे जरूरत हो जब भी।।
साथ मेरा तुम दे देना।।
भैया तुम मेरे ह्रदय से।।
कभी बिसर ना पाओगे।।
मुझको भी कभी कभी।।
याद मगर तुम कर लेना।।
ये माना घर तुम्हारा अब।।
वो मेरे लिए पराया है।।
लेकिन रक्षा सूत्र मेरा।।
तुम्हारी रक्षा करता आया है।
ये प्रेम तुम्हारा और मेरा।।
बचपन का बहुत पुराना है।
सारे झगड़े और मसलों को।।
एक तरफ़ बस कर देना।।
ये "नूतन" समय कहां फिर से।।
हर बार लौट के आता है।।
थोड़ा सा सोचो अपने भीतर।।
जो थे वैसे ही बन लो ना।।।