"समीर" के झोंके के साथ आज आ जाना मेरे पास। "समीर" के झोंके के साथ आज आ जाना मेरे पास।
भाप बनकर उड़ते हुए बादलों की तरह... भाप बनकर उड़ते हुए बादलों की तरह...
कुछ हसरतों के धागों की चद्दर बुनी नक्काशी भी की जज़्बातो से रेशमी सिरे जोड़कर सिनी चाही एक तंग चोल... कुछ हसरतों के धागों की चद्दर बुनी नक्काशी भी की जज़्बातो से रेशमी सिरे जोड़कर ...
कवि: मिखाईल लेरमेंतोव अनुवाद: आ.चारुमति रामदास कवि: मिखाईल लेरमेंतोव अनुवाद: आ.चारुमति रामदास
सब जन हुए वहीं एकत्रित जहां हुआ था मनमोहक शोर। सब जन हुए वहीं एकत्रित जहां हुआ था मनमोहक शोर।
सती प्रथा में आज शरीर नहीं, तेरा वजूद जला हैं। सती प्रथा में आज शरीर नहीं, तेरा वजूद जला हैं।