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Akanksha Srivastava

Abstract Inspirational

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Akanksha Srivastava

Abstract Inspirational

टूटा इश्क़

टूटा इश्क़

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तुम यू क्यों उदास बैठी हो

चलो उठो और एक नयी शुरुआत करो,

देखों वो निकल गया आंखों में धूल झोंक

अब तो तुम भी अपने आँखों को साफ करो,

यू कब तक रोगे घुट घुट कर

यू कब तक रोगे घुट घुट कर,


अब तुम भी तो उसका तिरस्कार करो

बहुत हुआ रोना धोना,

बहुत हुआ मोहाना

वो जा चुका है तेरी गलियों से ,

अब खुद को संभालो और आगे बढ़ो

भूल जाओ उसके वादे सारे,


क्योंकि अब उन वादों का कोई मोल नही

देखो आईना अपनी सूरत का नही ,

अपने रूह का जो अभी तेरे साथ खड़ा है

तुम लड़ो तुम अकेले नहीं,


फिर यूँ क्यों बन्द कमरों में छुप रोना

मैं रूह तेरी सब जानती हूं,

तुझे लोगो पर नही तो मुझपर तो विश्वास करो

चलो उठो मत रो अब आगे बढ़ो,

वो जा चुका है तेरी गलियों से

अब तुम भी तो जीवन को यूँ बेकार ना करो !


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