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Akanksha Srivastava

Fantasy Inspirational Children

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Akanksha Srivastava

Fantasy Inspirational Children

वो कागज की नावे, जिंदगी की कहानी

वो कागज की नावे, जिंदगी की कहानी

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वो कागज़ की कश्ती, वो बारिश का पानी,
जहाँ भीग जाए ज़िंदगी की कहानी।
 वो मिट्टी की खुशबू, वो बारिश की बूँदें,
जहाँ डूब जाएं वो कागज़ की नावें।
 वो नन्हें कदम जब बारिश में दौड़े,
रहे न परवाह कोई — ना छींटों की, ना टोके।
छतों से टपकती वो धुन की लहरें,
हर बूँद में मिलतीं थीं जादुई पहरें।
 बादल की कड़कती दिशाओ में दौड़े
 छोटी हथेली में पकड़ा वो सपना,
 बरसों से भीगा, जहाँ फिर भी अपना।
पिता की आवाज़, माँ की पुकार,
“भीग जाओगे बेटा… अब अंदर आओ यार!”
 मगर ना रही वो अल्हड़ जवानी
 बुढ़ापे में रह गयी बस यादों की कश्ती,
सुनी हैं वो गलियाँ जहाँ शोरो की थी रवानी।
 भींग रही हैं आंखे, तैर रही हैं यादें,
सुहाना था बचपन जहाँ मिलती थी
 जिंदगी की तमाम खुशियों की कहानी!    


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