इश्क के दरम्यान फासला
इश्क के दरम्यान फासला
दिल की बात थी जिगर में उतरना था,
हो गयी मोहब्बत तो क्या कसूर हमारा।
निगाहों ने जी भरकर देखा जब उन्हें,
दिल धड़का एक आवाज सी आने लगी।
इश्क के दरम्यान अब फासला ना रहा,
मुद्दतों बाद इश्क का एहसास होने लगा।
दिल में आने की दस्तक उन्होंने दे दी हमारे,
वो भी गजब निकले दिल से ही बात हो गई।
मोहब्बत हो गया तो हो गया उन्हीं से हमें,
वो लबों पर नाम अब सिर्फ उनका लेने लगे।
मदभरी आंखों में डूब कर देखा जो बारहा,
निगाहों से घायल करनेवाले रूह में उतर गये।

