तीज
तीज
तीज की शुभ बेला
हरी-भरी वसुंधरा पे, सजती हैं सखियां,
मेहंदी रचाए हाथों में, चूड़ियों की झंकार।
श्रावण की सतरंगी छाया, सजे जो मौसम में,
तीज का त्योहार लाता, उमंगों का संसार।
पायल की झंकार में, झूमती हैं जो राधा,
प्रीत की मिठास में, सजी है हर राह।
सावन के झूलों पर, गूँजते गीतों की धारा,
नव उमंगें ले आई, तीज की प्यारी फुहार।
चरणों में बसी हैं, शंकर की अराधना,
पार्वती के व्रत में है, अखंड प्रेम की साधना।
सुहागिनों के मन में, संजोए सपने हैं प्यारे,
सास-ससुर की सेवा, पति संग जीवन संवारें।
सखियों संग बैठकर, गीतों की गूंज सुनाते,
तीज का उत्सव, प्रेम और सौभाग्य को सजाते।
हर नारी के मन में, नूतन उमंग जगाए,
तीज का यह त्योहार, खुशियों के रंग बरसाए।
सदा सुहागन रहें, यही मन में व्रत का अभिप्राय,
तीज की पूजा में, नव प्रेम का हो सवेरा आए।
पिया संग नारी के, हों जीवन के सभी सुख साकार,
हर दिल में खिलें, तीज के सुहाने त्योहार।