तुम बिना
तुम बिना
जन्मदाता मात-पिता जी,
तुम बिना है मेरा कौन ?
बोलना चलना सिखलाया,
मैं अबोध बालक था मौन।।
ये जीवन था अंधकार में।
आप ही लाए संसार में।।
मां ने अमृत दूध पिलाया।
लोरी गा-गा कर सुलाया।।
रात-रात भर जागी माता,
मैनें गीला किया बिछौंन।
जन्मदाता मात पिता जी,
तुम बिना है मेरा कौन?
पाल-पोस कर बड़ा किया।
पैरों पर निज खड़ा किया।।
मात-पिता की मेहनत से।
ये जीवन है ठीक सेहत से।।
फिर भी बच्चे नहीं समझते,
लगता है कितना अचभौंन।
जन्म दाता मात पिता जी
तुम बिना है मेरा कौन।।
चलो निभाऐं अपना धर्म।
पूरा करलें अपना कर्म।।
मात-पितु की करके सेवा।
पाओ मन माफिक मेवा।।
कुछ तो कर्ज उतर जाएगा,
पूरा नहीं तो आधा-पौन।
जन्मदाता मात-पिता जी,
तुम बिना है मेरा कौन।।

