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Bhavna Thaker

Romance

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Bhavna Thaker

Romance

क्यूँ लुभाती हो

क्यूँ लुभाती हो

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तेरे इज़हार की मोहर पर रुका है ख़्वाब मेरा..

अपने दिल को इश्क की इजाज़त दे दो,

मेरी तिश्नगी बेहिसाब बढ़ रही है..


चाँद का एक टुकड़ा गिरा था आसमान की गोद से

शायद तुम उसका अक्स हो..

क्यूँ लुभाती हो मेरे मासूम मन को,

मार दो मुझे या मेरी माशूक बन जाओ..

जब तक मैं ज़िंदा हूँ मेरे नाम हो जाओ..


मेरे करीब आओ, मेरा हाथ थामो मेरे,

साथ चलो, मेरी मुस्कान की वजह बनों,

मेरी आगोश तड़पती है

तुम्हारे जिस्म की तरबतर खुशबू पाने को..


माहताब तुम्हारे तन की मिट्टी में मलना है मुझे

अपनी ज़ाफ़रानी छुअन को,

कशिश को जन्म दो अपने भीतर, मेरे भीतर समा जाओ..

 

"दिल का इंजन बेकाबू होते

तुम्हारी ओर चल पड़ा है,

ओ साहिबा हरी झंडी देकर मेरे ख़्वाब को मुकम्मल कर दो"


कदम रख दूँ तुम्हारे सीने की चौखट पर

भले फिर उसी पल दम तोड़ दूँ,

चंद पलों का साथ तुम्हारा काफ़ी है

इस जन्म को जीने के लिए।


साहित्याला गुण द्या
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