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Rajesh Raghuwanshi

Romance

4  

Rajesh Raghuwanshi

Romance

प्रेम

प्रेम

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क्यों ना एक प्रेम ऐसा भी कर जाए?

जहाँ रूठने-मनाने का नहीं

वरन समझने का भाव दोनों में आ जाए।


दर्द मुझे हो और

अहसास उसे हो जाए।


आँसू मेरी आँखों में हो यदि

पलकें उसकी नम हो आएं।


कहूँ मैं उससे अपनी संघर्षों भरी कहानी तो

उस कहानी में वह मेरा सहायक बन जाए।


उठे हाथ मेरे जब दुआ के लिए,

ख्वाहिशें उसकी कबूल हो जाए।


उसकी हर खुशी

मेरी जिंदगी का मकसद बन जाए।


याद जब उसे करुँ तो

बन हिचकी मेरी यादें 

उस तक पहुँच जाए।


दिल हो पास मेरे फिर भी

धड़कन उसके नाम हो जाए।


एक प्रेम क्यों ना

ऐसा भी कर जाए?


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