तो क्या बात हो.....
तो क्या बात हो.....
जिन्दगानी के सफर में
मुसाफिरों के काफिले में गर
बस एक नाम तुम्हारा हो
तो क्या बात हो......।
राहे-वफ़ा में मुश्किलें हो
तो भी फर्क नहीं अब।
उन मुश्किलों में गर साथ तुम्हारा हो
तो क्या बात हो..….।
चाहे बुझ जाए मशालें सभी पर
हाथों में गर हाथ तुम्हारा हो
तो क्या बात हो......।
हर दर्द को जी लेंगें हम गर
दर्द नाम तुम्हारा हो
तो क्या बात हो.....।
मौत भी पतझड़ के सूखे पत्तों
की तरह बिखर जायेगी गर,
जिंदगी का चमन तुम्हारा हो
तो क्या बात हो......।
फूलों की तरह महक उठेगा जीवन मेरा,
गर उन फूलों की बगिया का,
खिलता मौसम दिल तुम्हारा हो
तो क्या बात हो......।