लक्ष्य पाना है कर पूर्ण समर्पण है नितांत निस्वार्थ बालपन। लक्ष्य पाना है कर पूर्ण समर्पण है नितांत निस्वार्थ बालपन।
उनका ये बचपना देख हम बड़े भी कभी तो खुश हो जाते। उनका ये बचपना देख हम बड़े भी कभी तो खुश हो जाते।
उदास मुखड़े दे जाती हैं खुशबू की सौगात और बदल जाती है तपती दोपहर में। उदास मुखड़े दे जाती हैं खुशबू की सौगात और बदल जाती है तपती दोपहर में।
नयन निमंत्रित करते जब जब पढ़ नयनों की भाषा। कजरे ,गजरे की भी अपनी होती हैं अभिलाषा ।। नयन निमंत्रित करते जब जब पढ़ नयनों की भाषा। कजरे ,गजरे की भी अपनी होती हैं अभ...
कारवां से बिछड़ गये ,हम चले राह अजनबी जुनून की ,सुकून की ,यकीन की कर जुस्तजू कारवां से बिछड़ गये ,हम चले राह अजनबी जुनून की ,सुकून की ,यकीन की कर जुस्तजू
पवन लहरों पर करता बसेरा मनमोर चढ़कर करता है बसेरा। पवन लहरों पर करता बसेरा मनमोर चढ़कर करता है बसेरा।