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Leena Kheria

Abstract

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Leena Kheria

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बालपन

बालपन

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मनमोहक ये चंचल चितवन 

निश्छल होता है भोला सा मन

है नितांत निस्वार्थ बालपन


है सर्वाधिक अबोध ये बचपन

माता पिता ही होते है जीवन

है नितांत निस्वार्थ बालपन


महकें हैं ऐसे ज्यूँ वन में चंदन

ये हैं मनभावन सुकोमल सुमन

है नितांत निस्वार्थ बालपन


जब परिपक्व होने लगता है तन

तब होता है अथाह लड़क्कपन

है नितांत निस्वार्थ बालपन


सपनों का हैं ये विस्तृत चमन

अनंत कार्य इन्हें करने हैं संपन्न

है नितांत निस्वार्थ बालपन


जिज्ञासा का करना है समापन

लक्ष्य पाना है कर पूर्ण समर्पण

है नितांत निस्वार्थ बालपन।


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