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Rajeev Kumar

Abstract

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Rajeev Kumar

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दीया और बाती

दीया और बाती

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दीया और बाती

जैसे जीवन साथी।


खुशियों की बहार

एक-दूजे की दरकार।


घी-तेल दीप का ईंधन

प्रेम, जीवन का बंधन।


इक दूजे पे है विश्वास

जिंदा है प्रेम जीवन की साँस।


दीया घर जगमगाए

पिया, प्रेयसी की खुशी लाए।


दीया का है कुछ मोल

पिया तो हैं अनमोल।


दीपों की जले माला

हर अंधेरा, बने उजाला।


पिया खुशियों का प्याला

खुशियां छलकाने वाला।



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