STORYMIRROR

Rajeev Kumar

Abstract

4  

Rajeev Kumar

Abstract

दीया और बाती

दीया और बाती

1 min
312

दीया और बाती

जैसे जीवन साथी।


खुशियों की बहार

एक-दूजे की दरकार।


घी-तेल दीप का ईंधन

प्रेम, जीवन का बंधन।


इक दूजे पे है विश्वास

जिंदा है प्रेम जीवन की साँस।


दीया घर जगमगाए

पिया, प्रेयसी की खुशी लाए।


दीया का है कुछ मोल

पिया तो हैं अनमोल।


दीपों की जले माला

हर अंधेरा, बने उजाला।


पिया खुशियों का प्याला

खुशियां छलकाने वाला।



Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract