है मिलन की बेला
है मिलन की बेला
मिलन की बेला
है यादों का मेला
और हूँ अकेला
साँझ ये रस भरी
लूटा रही अमृत गागरी।
आओगे जिस क्षण
आभाष होगा जीवन
जीवन लग रहा जैसे मरण
एकांत सुना रही खोटी-खरी
लूटा रही अमृत गागरी।
तय तुम्हारा आना
कर के कोई बहाना
जीवन से तुम न जाना
उड़े जैसे उड़न तस्तरी
साँझ ये रस भरी
लुटा रही अमृत गागरी।
