Rajeev Kumar

Abstract

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Rajeev Kumar

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यादों के उजाले

यादों के उजाले

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अंधेरा क्यों पाले

जब है यादों के उजाले।


हर अंधेरे से निकाले

यादों के उजाले।


सीने में घुटन, लब पर ताले

दूर कर दे यादों के उजाले।


हालात जब उबाले

ठंडी करे यादों के उजाले।


छोटी-बड़ी हैसियत वाले

समझते हैं यादों के उजाले।



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