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Rajeev Kumar

Abstract

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Rajeev Kumar

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जद्दोजहद

जद्दोजहद

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न सर पे छत है

न पाँव में चप्पल

फिर भी हमको यकीन है

सुधरेगा आने वाला कल।


ख्वाहिशें सारी दफन सी

जिंदगी सी लग रही है

कल ये सारे सपने सच होंगे

आज जो ख्वाब सी लग रही है।


कल जरूर छुएंगे सरहद

आज जो कर ले जद्दोजहद।


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