हैं हम कौन ?
हैं हम कौन ?
हैं हम कौन
पता क्या अपना
हम तो कुछ नहीं
कल है सपना
माया - मोह ने
डाला घेरा
शुरू हो गया
तेरा - मेरा
दुनिया तो है
रैन बसेरा
बसे हैं आज
उजड़े कल डेरा
पिता - पुत्र
माता - सम्बन्धी
मोह - जाल में
हैं सब बंदी
लिखा पता ना
लिखी है तारीख
देश-काल की
यही है सीख।