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Prafulla Kumar Tripathi

Others

4.5  

Prafulla Kumar Tripathi

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इतिहास और भूगोल!

इतिहास और भूगोल!

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स्त्री का इतिहास समझना, 

बेहद मुश्किल है।

उसका तो भूगोल समझना, 

और भी मुश्किल है।।


कल उसका था कैसा, 

बांच सके ना कोई।

परसों का अनुमान, 

लगा पाए ना कोई।|


दिखती जैसी देह तुम्हें, 

होती ना वैसी।

छुई मुई की पौध कहें, 

बिल्कुल ही वैसी।।


प्यार रुप में मधुशाला सी, 

छक कर मदिरा पी लोगे।

क्रोध रुप में ज्वाला ऐसी,

धू-धू कर तुम जल जाओगे।।


मां का रुप सही होता, 

भगिनी भी भाव समझती है।

पुत्री तो लक्ष्मण रेखा सी , 

मर्यादा में रहती है।।


पत्नी अब 'अपग्रेड' हो चली, 

मोल भाव से दूर हो गई।

घुमा नहीं सकते अब पति गण, 

अबला से अब शेर हो गई ।



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