मुस्कान मिले! (मौसम)
मुस्कान मिले! (मौसम)


मौसम बदले या न बदले,
मन तो बदला करता है।
प्यार की बाबत कितना भटकें,
चाहत पर मन अटका है।।
उसके तन की गर्मी में
जो बात मिली वह क्या कहना !
उसके नैन की शीतलता में,
छुपा हुआ मन का गहना।।
जुदा हुआ जब मैं उससे,
नैनों से कुछ यूं बरसात हुई।
पूनम की रात थी फिर भी,
काली ही अपनी रात हुई।।
मौसम माफिक जब प्यार मिले,
जीवन को बसंत बहार मिले।
कोयल का सुंदर गान मिले,
अधरों को फिर मुस्कान मिले।।