STORYMIRROR

Sunil Kumar

Abstract

3  

Sunil Kumar

Abstract

पिता

पिता

1 min
11.8K

देवतुल्य पिता हमारे

जीवन का आधार हमारे

खुशियों के खातिर हमारे


सब कुछ अपना हैं वारे

देवतुल्य पिता हमारे।

भवसागर से हमको तारे


धरती पर ईश्वर का रूप धारे

सपनों के खातिर हमारे

सुख-चैन अपना हैं वारे

देव तुल्य पिता हमारे।


कष्ट कभी न इनको देना

कटु वचन न इनको कहना

ये ही तो पालनहार हमारे

देव तुल्य पिता हमारे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract