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Juhi Grover

Abstract

4  

Juhi Grover

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यादें

यादें

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यादें.....

क्या हैं यादें.....

कहाँ से आती हैं..

ज़रूरी भी हैं या नहीं?


बिना किसी नियन्त्रण के बस कब्ज़ा जमाये रखना,

बस बिन बुलाये मेहमान की तरह आते जाते रहना,

न कोई काम न ही किसी दूसरे को चैन से रहने देना,

अग़र आ ही गईं फिर जाने का नाम लेती क्यों नहीं?


यादें.....


आख़िर सुकून बन कर ही आती हैं या फिर बेचैनी,

सहारा बन कर आती हैं या बेसहारा की सी परेशानी,

बस पास आ आ कर के याद दिलाती है मुझे कुर्बानी,

वजह बेवजह मुझे साथ ले कर के जाती क्यों नहीं ?


यादें.....


अतीत से वर्तमान तक फैला ये कैसा मायाजाल है?

देखा अनदेखा आँखों के सामने कैंसा मोहजाल है?

ख्वाब, तसव्वुर सा आखिर ये कैसा ही भ्रमजाल है?

यादों की नगरी बन कर फिर से मिट जाती क्यों नहीं?


यादें.....


जिन यादों को कभी वर्तमान बनाया नहीं जा सकता,

यों यों चलते सफ़र में साथ ले जाया नहीं जा सकता,

एक टक निहार के भविष्य बनाया ही नहीं जा सकता,

पास हमारे पहुँच कर के भी बिखर ही जाती क्यों नहीं?


यादें.....

क्या हैं यादें.....

कहाँ से आती हैं..

ज़रूरी भी हैं या नहीं?


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