दिल के रिश्ते
दिल के रिश्ते
खून के रिश्ते किसी काम के नहीं होते,
और दिल के रिश्ते तो बस बेदाम होते हैं।
हम हँसना चाहते हैं तो हँस नहीं सकते,
रोना चाहते हैं तो रो भी नहीं सकते,
चीख-चिल्ला के खुद को जता नहीं सकते,
खून के रिश्ते कारण पूछते हैं,
बस छुप जाना पड़ता है,
दबा देना पड़ता है,
राज़ दफ़न करने आसान नहीं होते,
और बस राज़ ही तो रखने होते हैं।
हँसना चाहते हो हँस लो,
रोना है रो लो,
चीखना चिल्लाना है तो आज वो भी कर लो,
दिल के रिश्ते बस यही कहते हैं,
मन की करनी है मन की कर लो,
खुद को बस हल्का कर लो,
राज़ दफ़न करने की ज़रूरत नहीं होती,
हम बच्चे जो बन गए होते हैं।
रिश्तों को ज़िन्दा रखना है,
बस एहसास ज़रूरी होते हैं,
कदम-कदम पे गिरते हैं, उठते हैं,
फिर चल पड़ते हैं,
साथ कोई हो अगर हौसलों में,
दूर हो कर भी पास हो,
रास्ते दूरियाँ नहीं होते,
बस हम मंज़िल के पास ही होते हैं।
क्यों न खुद में ही आत्मसात कर लूँ,
खून के रिश्तों को दिल का रिश्ता बना लूँ,
सब आसान यों मैं कर लूँ,
सोच लेती हूँ कभी-कभी,
कोशिशें हो जाती हैं,
मगर न चाहते हुए भी दरारें आ जाती हैं,
उन दरारों को भरना आसान नहीं,
दिल के रिश्ते बस साथ रह जाते हैं।
खून के रिश्ते बेशक दर्द देते हैं,
मगर दिल के रिश्ते सुकून देते हैं।